स्वतंत्र समय, रांची
झारखंड कांग्रेस ने रांची लोकसभा सीट से केंद्र में मंत्री रहे सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय ( yashaswini sahay ) उर्फ गौरी को लोकसभा का टिकट दिया है। गौरी आज पहले दिन जब मीडिया के सामने आई तो उन्होंने अपने हाथ में भगवत गीता रखी थी। गौरी बताती हैं कि भगवत गीता उन्हें काफी आत्मबल देता है. वह कहती हैं कि गीता पुस्तक नहीं बल्कि एक धर्म और ट्रेडीशन है जो व्यक्तिगत जीवन को आसान करता है।
चुनावी से पहले yashaswini sahay से हुईं गौरी
गौरी कहती हैं कि हर किसी की परेशानी अलग-अलग है। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने की परेशानी है तो युवाओं को रोजगार की जरूरत है। युवा डिग्री तो ले लेते हैं पर नौकरी नहीं रहती है। डिग्री मिलने के बाद नौकरी नहीं मिलना मानो डिग्री को भी बर्बाद कर देता है। ऐसे में रोजगार सबसे महत्वपूर्ण है और इन्ही बातों को प्रमुखता से उठाने के लिए वो संसद जाना चाहती हैं। 28 वर्षीय यशश्विनी उर्फ गौरी ने लॉ की पढ़ाई की है और लॉ की पढ़ाई करने के बाद पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही हैं। चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही यशश्विनी ( yashaswini sahay ) का नाम बदल दिया गया है और अब वो आम जनता के बीच यशश्विनी नहीं गौरी नाम से जानी जाएंगी, ताकि उनका नाम लोगों की जुबान और दिलों में बस सके।
विजन से कार्य करने का प्रयास करूंगीः yashaswini sahay
पहली बार चुनावी मैदान में उतरने पर गौरी ( yashaswini sahay ) कहती हैं कि मुझे पहली बार टिकट मिला इसके लिए पार्टी को धन्यवाद देती हूं। उन्होंने कहा कि मुझे बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। इसमें कई मुश्किलें भी आएंगी। लेकिन, मेरा जो विजन है उस विजन पर मैं स्पष्टता से काम करने का प्रयास करूंगी। वो कहती हैं कि रांची झारखंड की राजधानी है। लेकिन, यह राजधानी की तरह झलकता नहीं है। इस वजह से हमारी पहली प्राथमिकता रांची को राजधानी के रूप में डेवलप करने की होगी। उन्होंने कहा कि रांची के युवा हो महिला या आदिवासी जिनकी भी जो भी परेशानी है उसे प्रमुखता से देखते हुए उस पर काम करने का प्रयास होगा।
‘तब मुझे एसी नहीं मिलता था’
भीषण गर्मी में प्रचार करने को लेकर गौरी ने कहा कि जब इसी गर्मी के बीच जनता रह रही है तो आखिर मुझे क्या दिक्कत हैं? मैं धूप में रहकर काम भी करती हूं, जब मैं कोर्ट में काम करती हूं तो उस दौरान भी मैं गर्मी में ही रहती हूं. मैं लोवर कोर्ट में काम करती थी, वहां भी मुझे एसी नहीं मिलता था। ऐसे में मैं फील्ड में भी बेहतर काम कर सकती हूं। संजय सेठ पर उन्होंने कहा कि अब लोग देखेंगे कि वह मजबूत है या मैं। लेकिन, सवाल यह होता है कि अगर लोगों ने संजय सेठ को वोट दिया है तो क्या उन्होंने जनता के वादे पूरे किए हैं या नहीं।