Yogini Ekadashi 2025: आज है योगिनी एकादशी, जानें व्रत का महत्व, पूजा नियम और पौराणिक कथा

Yogini Ekadashi 2025: आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। इस वर्ष यह व्रत 21 और 22 जून को मनाया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान पुण्य मिलता है। इससे जीवन में चल रहे दुःख, कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं।

योग और ग्रह दोषों से मुक्ति का अवसर

मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। कुंडली में यदि कोई ग्रह दोष चल रहा हो, तो यह व्रत उसे भी शांत कर देता है। साथ ही यह व्रत मानसिक तनाव, चिंता और रोगों से भी राहत देने में सहायक माना गया है।

व्रत विधि और पूजा प्रक्रिया

व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूजा स्थल को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। यह संकल्प किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए या निष्काम भाव से लिया जा सकता है।

तुलसी अर्पण और रात का जागरण

पूजन के समय भगवान विष्णु को पीले फूलों से सजाएं और तुलसी दल अर्पित करना न भूलें, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है। व्रत के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, कथा पढ़ें या सुनें, और रातभर भजन कीर्तन करके जागरण करें।

व्रत का पारण कैसे करें

दूसरे दिन द्वादशी को उचित समय (पारण मुहूर्त) में व्रत का पारण करें। पारण के बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाकर और दान देकर व्रत का समापन करें। इस विधि से किया गया व्रत अत्यंत पुण्यदायक होता है।

योगिनी एकादशी की कथा

पुराणों में वर्णन मिलता है कि अलकापुरी में कुबेर के दरबार में हेममाली नाम का माली कार्यरत था। वह प्रतिदिन भगवान शिव के पूजन के लिए फूल लाता था। एक दिन वह अपने कर्तव्य को भूलकर पत्नी के पास चला गया। राजा कुबेर ने क्रोधित होकर उसे कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया।

कथा का परिणाम और व्रत की महिमा

हेममाली श्राप के कारण वन में कष्ट झेलते हुए भटकता रहा। अंत में वह महर्षि मार्कण्डेय के आश्रम पहुंचा और अपनी पीड़ा साझा की। ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। श्रद्धा से व्रत करने पर हेममाली स्वस्थ हो गया और जीवन में फिर से सुख-शांति लौट आई।

ग्रह दोषों और भाग्य की बाधाएं कैसे दूर हों

योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव का पूजन भी करना चाहिए। शिवजी का जल से अभिषेक करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इस उपासना से सोया हुआ भाग्य जागृत होता है और जीवन में अच्छे योग बनने लगते हैं।