जैसे ही इंसान 30 की उम्र पार करता है, शरीर में कई तरह के जैविक (बायोलॉजिकल) और हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं। इसी समय से बोन डेंसिटी यानी हड्डियों की घनता कम होने लगती है। अगर इस समय शरीर को पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन न मिले, तो हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं।
ऑफिस में घंटों बैठना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, असंतुलित खानपान और धूप से दूरी, ये सभी आदतें हड्डियों की मजबूती पर नकारात्मक असर डालती हैं। महिलाओं में प्रेग्नेंसी और मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोनल उतार-चढ़ाव भी हड्डियों की कमजोरी का कारण बन सकते हैं। इस उम्र में हड्डियों में दर्द को मामूली समझना एक बड़ी गलती हो सकती है, क्योंकि यह आगे चलकर गंभीर समस्याओं का रूप ले सकता है।
लगातार हड्डियों में दर्द है?
अगर हड्डियों में लगातार दर्द बना रहता है या जोड़ों में अकड़न महसूस होती है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि हड्डियों में कोई अंदरूनी गड़बड़ी है। समय रहते जांच और इलाज न कराने पर यह दर्द ऑस्टियोपेनिया या ऑस्टियोपोरॉसिस जैसी बीमारियों में बदल सकता है, जिसमें हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मामूली चोट में भी टूट सकती हैं।
यह समस्या विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और कंधों को प्रभावित करती है। इसके अलावा, जोड़ों में सूजन और अकड़न अगर बनी रहती है, तो यह रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों का संकेत हो सकता है। साथ ही, अगर थकान जल्दी हो, मांसपेशियों में जकड़न हो और नींद पूरी न हो रही हो, तो इसे नजरअंदाज न करें।
हड्डियों की जांच के लिए ये 5 टेस्ट जरूरी हैं
बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट (BMD)
यह टेस्ट हड्डियों की ताकत और घनत्व मापता है। इससे ऑस्टियोपोरॉसिस जैसी स्थितियों की पहचान शुरुआती चरण में की जा सकती है, जिससे समय पर इलाज संभव होता है।
विटामिन डी टेस्ट
शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी जरूरी होता है। इसकी कमी से हड्डियों में दर्द, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
कैल्शियम लेवल टेस्ट
यह खून में मौजूद कैल्शियम की मात्रा को मापता है और यह पता चलता है कि हड्डियों की सेहत के लिए पर्याप्त कैल्शियम शरीर में मौजूद है या नहीं।
आरए फैक्टर टेस्ट
अगर जोड़ों में लगातार सूजन, दर्द या जकड़न है, तो यह टेस्ट यह बताने में मदद करता है कि रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी कोई ऑटोइम्यून बीमारी तो नहीं है।
यूरिक एसिड टेस्ट
अगर जोड़ों में तीव्र दर्द या जलन है, तो यह गाउट या गठिया की ओर इशारा कर सकता है। इस स्थिति में शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है, जिसकी पुष्टि इस टेस्ट से की जाती है।
हड्डियों की सेहत के लिए अपनाएं ये जरूरी आदतें
हर दिन थोड़ी धूप लें
रोजाना कम से कम 20–30 मिनट सुबह की धूप में बैठें, ताकि शरीर प्राकृतिक रूप से विटामिन डी बना सके।
संतुलित आहार लें
अपने खाने में कैल्शियम और विटामिन डी युक्त चीजें जैसे दूध, दही, पनीर, बादाम, सोया और हरी सब्जियां शामिल करें।
नियमित हल्की कसरत करें
वॉक, योगा, स्ट्रेचिंग और हल्की फिजिकल एक्टिविटी से हड्डियों को मजबूती मिलती है और जोड़ों की गतिशीलता बनी रहती है।
एक ही पोजिशन में लंबे समय तक न बैठें
काम के दौरान हर एक-दो घंटे में थोड़ा चलना-फिरना जरूरी है ताकि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक बना रहे।
अच्छी नींद और कम तनाव
मानसिक तनाव और नींद की कमी शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं, जिससे हड्डियों पर भी असर पड़ता है।
बिना डॉक्टर की सलाह के सप्लीमेंट न लें
हड्डियों के लिए जरूरी सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। जरूरत से ज्यादा डोज से भी नुकसान हो सकता है।
नियमित चेकअप कराते रहें
समय-समय पर जरूरी जांच करवाते रहना और रिपोर्ट्स को ट्रैक करना हड्डियों की लंबी उम्र और सेहत के लिए जरूरी है।
अगर आप 30 की उम्र पार कर चुके हैं और हड्डियों से जुड़ी कोई भी परेशानी महसूस करते हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। शुरुआती समझदारी और सही जीवनशैली हड्डियों को जीवनभर स्वस्थ बनाए रख सकती है।