प्रखर – वाणी
मोदीजी पूरा देश टकटकी लगाकर देख रहा आपको आपकी कूटनीतिक राहों को…आपकी गम्भीर मुखमुद्रा और हौसलेभरी निगाहों को…जख्म गहरे मिले हैं मुल्क को जवाब तगड़ा चाहिए…आतंकवाद की टांगे तोड़ दो हमको तो पाक लंगड़ा चाहिए…कुत्ते की पूंछ भोंगली में रख देने से सीधी नहीं होती…नया भारत है ये जान ले पाक यहां शांति दूत वाली विधि नहीं होती…सफेद कबूतर उड़ा उड़ाकर हमने जिनको कबूतर खाना बना दिया…उन्होंने कश्मीर की फिजाओं को रक्त रंजित पैमाना बना दिया…
गोली का जवाब बम से दे दो…बम का जवाब मिसाइल से दे दो…युद्ध की विभीषिका तो हम भी नहीं चाहते क्योंकि ये मानव के लिए घातक है…लेकिन हम गांधी भी नहीं जो एक गाल पर तमाचे की जगह दूसरा भी आगे कर दें हम तो स्वाभिमानी चातक हैं…तीन तीन वार में हुआ नरसंहार मगर पाक की तासीर नहीं बदली…हर बार मुंह की खाई मगर नापाक तस्वीर नहीं बदली…हमारे सैनिकों के सम्मुख एक लाख नपुंसकों के हथियार डालने वाला मुल्क बदजात है…
आतंकवादियों का प्रशिक्षक होकर उनको पोषित करना ये उसकी कुचमात है…दुनियां के खूंखार आतंकियों का पनाहगीर बड़े बड़े आतंकी अड्डे चला रहा ये एकदम साफ है…खाने को दाना नहीं , पीने को पानी नहीं फिर भी बंदूक उठाने वालों की दुनाली दबोचना यही इंसाफ है…अब तो जवाब करारा देना होगा क्योंकि हमको पाक ने दी नापाक चुनौती है…हमारा पड़ौसी ही बन रहा लगातार हमारे लिये पनौती है…संगीनों के साये में अवाम की हिफ़ाज़त खौफ का पैगाम है…एक एयर स्ट्राइक से हिल गया था दुश्मन हम जानते है पूरा झंडू बाम है…
उसने हमको चिमटी खुड़ी तुम उसकी कमर तोड़ लो…बहुत तमाशा हो गया अब तो पीओके को भारत में जोड़ लो…यही समय व सत्ता है जो पाक के अंत में काबिल है…धर्म आधारित राजनीति में वोट बैंक जुगाड़ने वाले नाकाबिल हैं…घुसपैठ करवाकर जो अपना उल्लू सीधा करते हैं…खुद के लिए खाई खोद रहे वो एक दिन इसी में गिरकर मरते हैं…सारी दुनिया का समर्थन जुटा लिया अब तो बिगुल बजा दो…हमारे घर में घुसकर वार करने वाले को सजा दो…हम साजिशों के मकड़जाल में उलझकर बंदिश नहीं चाहते…खुले आसमान में उड़ते हैं आर्थिक तरक्की के दौर में रंजिश नहीं चाहते…मगर जब कोई हमारे जमीर पर वार कर मुस्करा रहा हो तो उसको आंसू देंगे…मोदी जी अब हुंकार भरकर बोल दो इसका जवाब धांसू देंगे…
हड्डियां चबाने वाली नस्ल सदा पाशविक होती है…भस्मासुर की तरह ये बिरादरी पूरी नाशविक होती है…इतिहास से सबक लो और भविष्य का निर्माण करो…टुकड़ों में बंट गए भारत का पुनर्निमाण करो…बकरियों से मिमियाने वालों को सिंह गर्जना का जवाब दो…बहुत नाटक करता है पाक इसकी हड्डी में कबाब दो…चारों तरफ की निगाहें बस आपके फैसले का इंतजार कर रही है…हमारे घाव गहरे हैं खौलते खून की गर्माहट बेकरार कर रही है ।