युवा V/S अनुभवः 40 साल बाद Congress ने उतारा सबसे युवा प्रत्याशी

 विपिन नीमा, इंदौर

लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ( Congress ) ने मप्र कांग्रेस के सबसे बड़े और पुराने नेता दिग्विजय सिंह को अपने गृह क्षेत्र राजगढ़ से और सबसे नए और युवा अक्षत कांति बम को टिकट दिया है। 40 साल बाद दिग्विजय सिंह की राजगढ़ में वापसी हो रही हैं। वर्ष 1984 में उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसी प्रकार 45 वर्षीय अक्षत बम सबसे युवा और नए प्रत्याशी हैं। उनके कॅरियर का ये पहला चुनाव हैं। 40 साल बाद कांग्रेस ने पहलीबार किसी युवा प्रत्याशी को लोकसभा का टिकट दिया है। उनका मुकाबला भाजपा के सांसद और अनुभवी प्रत्याशी 63 साल के शंकर लालवानी से होगा। सबसे खास बात यह है कि जितनी उम्र (45 साल) अक्षत बम की है लगभग उतने साल लालवानी को राजनीति करते हुए हो गए हैं। एक अनुभवी नेता के सामने नए और अनुभवहीन नेता का चुनाव लडऩा सबसे बड़ी चुनौती है।

अनुभवी लालवानी के सामने आया राजनीति का नया खिलाड़ी

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ( Congress ) ने इंदौर सीट के लिए एक ऐसे नेता को शंकर लालवानी के सामने उतारा है जिन्होंने आज तक राजनीति का कोई चुनाव नहीं लड़ा है। वे शंकर के सामने कमजोर और अनुभवहीन प्रत्याशी हैं। 45 साल के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अक्षय कांति बम मप्र के सबसे युवा प्रत्याशी हैं। बम की जितनी उम्र है उतने साल से लालवानी सक्रिय राजनीति कर रहे हैं। शहर के सफल उद्धमी, युवा नेता अक्षय कांति बम इंदौर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान डेली कॉलेज के स्टूडेंट रहे। पहली बार उनका नाम विधानसभा चुनाव में आया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में वे क्षेत्र क्रमांक 4 के प्रबल दावेदार थे। भले ही उन्हें टिकट नहीं मिला हो लेकिन वे पार्टी में काफी चर्चित हो गए थे, तब से ही उनके लिए लोकसभा चुनाव का रास्ता खुल गया था। पहली बार राजनीति में कदम रखा और पहलीबार में ही उन्हें लोकसभा जैसे बड़े चुनाव लडऩे का सौभाग्य मिल गया। हालांकि शंकर लालवानी जैसे अनुभवी नेता के सामने चुनाव लडऩा अक्षत बम के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।

84 से अब तक यह 10 प्रत्याशी, जो चुनाव लड़े और पराजय हुए…

  1. 1984 – पीसी सेठी (जीते )
  2. 1989 – पीसी सेठी
  3. 1991 – ललित जेन
  4.  1996 – मधुकर वर्मा
  5. 1998 – पंकज संघवी
  6. 1999 – महेश जोशी
  7. 2004 – रामेश्वर पटेल
  8. 2009 – सत्यनारायण पटेल
  9. 2014 – सत्यनारायण पटेल
  10. 2019 – पंकज संघवी
  11. 2024 के चुनाव के प्रत्याशी अक्षत कांति बम हैं जिन पर कांग्रेस ने विश्वास किया हैं ।

40 साल बाद फिर राजगढ़ से चुनाव लड़ने मैदान में उतरे दिग्गी

मप्र कांग्रेस के सबसे बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राजगढ़ के पूर्व शाही परिवार से आने वाले दिग्विजय सिंह 40 साल बाद फिर से राजगढ़ से लोकसभा का चुनाव लडऩे के लिए मैदान में उतरे हैं। 1984 में वह यहीं से लोकसभा का चुनाव लड़े थे। उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और दो बार के मौजूदा सांसद रोडमल नागर से होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भोपाल से भाजपा की प्रज्ञा ठाकुर के सामने चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। हालांकि, वह 1989 में भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार गए थे, लेकिन 1991 में दिग्विजय सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थ।. 1993 के लोकसभा चुनावों में दिग्विजय सिंह यह सीट छोडक़र चले गए, यहां से सीट छोडऩे के कुछ समय बाद दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए दिग्विजिय सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।