'ऐसी लड़कियों' की शादी धोखे से होती है

धरती पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अपनी किस्मत ऊपर से लिखवा कर लाता है। किस्मत के लेख हथेली पर खींची गई आड़ी तिरछी रेखाओं के रूप में होते हैं जिसे हर कोई पढ़ नहीं सकता।
लेकिन समुद्रशास्त्र में कुछ बातों का उल्लेख किया गया है जिनसे इन रेखाओं को पढ़ और समझ सकते हैं। इन्हीं रेखाओं में एक रेखा होती है विवाह की रेखा।
इस रेखा को देखकर समझ सकते हैं कि व्यक्ति की शादी कब और कैसे होती है। कौन पारंपरिक विवाह करेगा, किसकी प्रेम विवाह होगी और किसकी शादी धोखे से कराई जाएगी।
समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि हथेली में सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत का स्थान होता है। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती है।
व्यक्ति के प्रेम प्रसंग एवं वैवाहिक जीवन का आंकलन इसी रेखा की बनावट के आधार पर किया जाता है। यह रेखा जितनी साफ और स्पष्ट होती है वैवाहिक जीवन उतना ही अच्छा होता है।
यदि रेखा नीचे की ओर झुकी हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में काफी परेशानी आती है। विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने की आशंका रहती है।
किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाह धोखे से होता है। यदि विवाह रेखा अनामिका के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।
समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि हथेली में सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत का स्थान होता है। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती है।
व्यक्ति के प्रेम प्रसंग एवं वैवाहिक जीवन का आंकलन इसी रेखा की बनावट के आधार पर किया जाता है। यह रेखा जितनी साफ और स्पष्ट होती है वैवाहिक जीवन उतना ही अच्छा होता है।
यदि रेखा नीचे की ओर झुकी हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में काफी परेशानी आती है। विवाह रेखा के आरंभ में दो शाखाएं हो तो उस व्यक्ति की शादी टूटने की आशंका रहती है।
किसी स्त्री के हाथ में विवाह रेखा के आरंभ में द्वीप चिन्ह हो तो उसका विवाह धोखे से होता है। यदि विवाह रेखा अनामिका के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।
समुद्रशास्त्र के अनुसार हथेली में दो स्थानों पर मंगल का प्रभाव होता है। पहला शुक्र पर्वत और गुरू पर्वत के बीच में मंगल क्षेत्र होता है इसे निम्न मंगल कहते हैं। दूसरा चन्द्र पर्वत और बुध क्षेत्र यानी छोटी उंगली से कुछ ऊपर इसे उर्ध्व मंगल कहते हैं।
मंगल दुर्घटना का कारक ग्रह माना जाता है। समुद्रशास्त्र कहता है जिस व्यक्ति की हथेली में निम्न मंगल पर तिल का निशान होता है उसे हमेशा जोखिम से बचना चाहिए। इन्हें सड़क दुर्घटना, करंट, आग लगने का भय रहता है।
समुद्रशास्त्र यह भी कहता है कि दोनों मंगल स्थान पर कहीं भी तिल का निशान होना शुभ नहीं होता है।
ऐसे में ट्रेन, बस, विमान दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। निम्न मंगल स्थान पर क्रॉस का चिन्ह होने पर रक्त संबंधी रोग देता है। ऐसे व्यक्ति जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं।
जिस व्यक्ति की हथेली में मंगल पर्वत पर शून्य का निशान बना होता है उन्हें घाव के कारण कष्ट का सामना करना पड़ता है। निम्न मंगल पर चंद्र का निशान मानसिक परेशानी देता है। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ भी हो सकता है।
समुद्रशास्त्र के अनुसार मंगल पर्वत पर काला धब्बा होना असाध्य रोग होने का संकेत माना जाता है। जबकि मंगल पर लाल रंग का धब्बा होने पर व्यक्ति बुखार से पीड़ित होकर कष्ट पाता है। मंगल पर्वत पर जालीनुमा चिन्ह भी शुभ नहीं माना जाता है।