12 तारिक को निकलेगी इंदौर की प्रसिद्ध गैर
मध्यप्रदेश के दिल के नाम से जाने जाना वाला शहर इंदौर होली फेस्टिवल के लिए काफी मशहूर है. इंदौर शहर में हर वर्ष धूम-धाम से बड़े ही हर्षो -उल्लास के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है. इंदौर शहर में होली का त्यौहार रंगों के साथ मनाया जाता है यही इस शहर की परंपरा भी है. लेकिन इंदौर शहर इंदौरवासियों को होली से ज्यादा इंतज़ार रंगपंचमी का रहता है. रंगपंचमी पर यहाँ लोग लाखो की तागत में इकट्ठे होते है. होली से जायदा धूम आपको यहाँ पर रंगपंचमी को देखने को मिलती है. इंदौर में हर-साल रंगपंचमी पर बड़े ही धूम धाम से गैर निकलती है. रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर में रंगों और गुलाल की बरसात होती है. यहाँ पर लोग एक दुसरे को रंगों से और गुलाला से साथ पानी से नेहला देते है. रंगों की वर्षा के साथ यहाँ पर लोग नाच गाना भी करते है, जिसे सभी लोग खूब एन्जॉय करते है. सिर्फ इंदौर ही नहीं बाहर से भी लोग इस गैर में शामिल होने आते हैं।
इंदौर में निकलने वाली गैर का इतिहास-
इंदौर शहर में निकलने वाली गैर की परंपरा होलकर वंश के समय से ही चली आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है की होलकर राजघरानो के लोग रंगपंचमी के दिन बैलगाडियो में फूलों और रंग-गुलाल लेकर सड़क पर निकल पड़ते थे, फिर रास्ते में जो भी इनको दिखता था, यह लोग उसपर रंग, गुलाल और फूलों की बारिश कर देते थे. होलकर वंश द्वारा निकाली गई इस परंपरा का एकमात्र उद्देश्य यह था की समाज के सभी लोगो के साथ बिना जात-पात के सभी के साथ मिलकर त्यौहार मनाना है और यह परंपरा सालो से चली आरी है.
रंगपंचमी के दिन इंदौर का हर एक व्यक्ति एक दुसरे को रंग लगा कर बधाई देते हुए कहता है की बुरा ना मनो होली है. इंदौर के गैर को अब यूनेस्को की धरोहर से जोड़ने का प्रयास कर रहे है. 300 सालो से चली आ रही गैर की इस परंपरा में पुरे शहर में 3000 से ज्यादा पांडाल लगते हैं इंदौर की गेर विश्वभर में प्रसिद्ध है. सभी जाति-धर्म के लोग इस गैर में शामिल होते हैं देश के कोने-कोने से पर्यटक इस गैर को देखने आते है.