ज्योतिष की मानें तो किसी भी जातक की कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ या अशुभ हो जाती है जो जातक के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है। व्यक्ति के जीवन में अगर ग्रहों की स्थिति शुभ हो तो उसका जीवन सुख-समृद्धि और शांति से भर जाता है। वहीं अगर ग्रहों की स्थिति किसी जातक की कुंडली में हो तो जीवन में उथल-पुथल मचा देता है। राजयोग वो शुभ योग कहा जाता है जिसमें व्यक्ति अपने अच्छे कर्मों के सबसे शुभ फल पाता है औऱ उसे राजा के समान जीवन और भौतिक सुख सुविधाएं मिलती है।
जब कुंडली में राजयोग बनता है तो जातक जिस काम में हाथ डालता है, वहां सफलता (Success) मिलती है। उसके हर काम बन जाते हैं, हर तरह के सुख मिलते हैं और जीवन किसी राजा के समान व्यतीत होता है। आपको बता दें कि ग्रहों की विशेष परिस्थितियां ही किसी की कुंडली में राजयोग का निर्माण करती हैं। चलिए आज जानते हैं कि कुंडली में राजयोग का पता कैसे लगाया जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि किसी जातक की कुंडली के नौवें और दसवें भाव को बहुत ही महत्वपूर्ण कहा गया है। ऐसे में यदि इन दोनों भावों में बैठे ग्रह शुभ हैं तो कुंडली में राजयोग का निर्माण होता है और व्यक्ति राजा के समान जीवन जीता है। भृगु वेद में कहा गया है कि जिस कुंडली में बुध और चंद्रमा की शुभ स्थिति राजयोग बनाती है। ऐसे जातक राजनीति में काफी सफल होते हैं और उनका जीवन हर तरह से अच्छा होता है।
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राजयोग का पता लगाने के लिए एक बेहद आसान तरीका इस तरह है। आपको सबसे पहले अपना मूलांक निकालना होगा। मूलांक यानी आपकी जन्मतिथि. अगर आपकी जन्मतिथि 12 है तो 1+2 यानी मूलांक हुआ 3. अगर आपकी जन्मतिथि 26 है तो मूलांक हुआ 2+6 यानी 8. इसके बाद आपको अपना भाग्यांक निकालना है। भाग्यांक पूरी जन्म तिथि का टोटल होता है। जैसे अगर किसी की जन्मतिथि है – 06.12.1976 तो उसका मूलांक हुआ 06+1+2+7+6 इसका जोजोड़ 4 होगा वो आपका मूलांक कहलाएगा। इसमें सदी को नहीं जोड़ा जाता है। अब आपको अपना मूलांक और भाग्यांक एक साथ लिख लेना है। इस पूरे नंबर में एक, छह और आठ अगर एक साथ दिख रहे हैं तो आपके जीवन में राजयोग जरूर लगेगा। जीवन में किसी भी उम्र में आपको एक बार राजयोग भोगने का मौका जरूर मिलेगा।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी पुष्टि नहीं करता है।