जिले की गौरवशाली साहित्यक यात्रा का चित्रण।
गाडरवारा। विगत दिनों साहित्य को समर्पित चेतना संस्था के तत्वाधान में डाॅ. मंजुला शर्मा द्वारा सृजित दो कृतियां ‘‘मंजुल मंजूषा’ और ‘जिले का साहित्य विकास’’ का विमोचन समारोह वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. प्रकाश चन्द्र डोंगरे के मुख्यआतिथ्य में, डाॅ सुनीता गुप्ता प्रोफेसर पीजी कालेज गाडरवारा और देवराम जानकी मंदिर के महंत बालकदासजी के सारस्वत आतिथ्य में तथा वरिष्ठ साहित्यकार कुशलेन्द्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा माॅ सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया । सरस्वती वंदना नरसिंहपुुर से पधारे युवा कवि प्रशांत शर्मा ने प्रस्तुत की एवं स्वागत भाषण वेणीशंकर पटैल ‘ब्रज’ में दिया ।
मंचासीन अतिथियों के स्वागत उपरांत करतल ध्वनि के बीच दोनों कृतियों का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया, इस अवसर पर चेतना संस्था की ओर से विजय नामदेव, पोषराज मेहरा, वृन्दावन बैरागी द्वारा कृतिकार का सम्मान शाल श्रीफल एवं सम्मानपत्र से किया । दोनों कृतियों की समीक्षा, प्रकाशक एवं साहित्यकार सतीश तिवारी द्वारा प्रस्तुत की गई । कृति में उल्लेखित रचनाकार महेश प्रसाद झारिया, पी. एस. विश्वकर्मा और डाॅ डोंगरे का सम्मान शाल श्रीफल से किया गया । कृतिकार मंजुला शर्मा ने अपने उद्बोधन में अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि मंजुल मंजुषा कृति में अपने बाल्यजीवन की संघर्ष यात्रा को चित्रित किया गया है । आर्थिक, पारिवारिक और शैक्षणिक संघर्ष ने उन्हें मजबूत किया ।
अपनी दूसरी कृति साहित्य के विकास के संबंध में उन्होने कहा कि उनका शोधग्रंथ का यह एक भाग है । अमृत महोत्सव काल में नरसिंहपुर जिले के भारत की स्वतंत्रता के पूर्व जन्मे साहित्यकारों का परिचय सभी के समक्ष आना गौरव की बात है, ये वे साहित्यकार है जिन्होने अपनी कलम कें माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के संग्राम को मजबूती देने का प्रयास किया । मुख्यअतिथि डाॅ डोंगरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज के तात्कालीन परिस्थितयों का चित्रण करता है । नरसिंहपुर जिला की साहित्यक यात्रा गौरवांवित करने वाली है । हमारे जिले का स्वतंत्रता का आन्दोलन और साहित्य सृजन ने जिले कांे राष्ट्रीय पटल पर अंकित किया है । कार्यक्रम के अध्यक्ष कुशलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने क्षेत्र का इतिहास जानना ही चाहिए ।
नरसिंहपुर जिला का स्वतंत्रता आन्दोलन और साहित्य का इतिहास राष्ट्रीय स्तर की साहित्यक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है । जिले के अनेक साहित्यकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। आजादी के अमृत महोत्सव का उदे्श्य ही यह है कि क्षेत्र के नागरिक अपने इतिहास से परिचित हों, ऐसे में मंजुला की कृति महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी । मंहत बालकदास जी ने रचनाकार को शुभकमानाएं देते हुए कहा कि हर व्यक्ति के ऊपर अपनी जन्मभूमि का ऋण होता है, मंजुला ने इन कृतियों के माध्यम से अपने ऋण को उतारने का प्रयास किया है । डाॅ सुनीता गुप्ता ने कहा कि हम सभी अपने अतीत को विस्मृत करते जा रहे हैं ऐसे में ऐसी कृतियां हमें अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ती हैं ।
नररसिंहपुर जिले का योगदान राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित है, केवल हमें अपनी पीढ़ी को उससे अवगत करना है । विमोचित कृति की प्रथम प्रति श्रीमती निर्मला पराशर ने क्रय करते हुए उन्हें बधाई दी । कार्यक्रम का आभार नगेन्द्र त्रिपाठी ने किया और सफल संचालन प्रसि़द्ध कवि विजय नामदेव ने किया । जिले के विभिन्न अंचलों से पधारे श्रोताओं की गौरवांवित करने वाली उपस्थिति के बीच जिले की अनेक संस्थाओं ने कृतिकार का सम्मान किया ।