शहादत दिवस पर AIDSO ने दी आजाद को श्रद्धांजलि

शिवनारायण कुरोलिया/अशोकनगर- AIDSO आजादी आंदोलन की गैर समझौतावादी धारा के असाधारण योद्धा ज्वलंत देश प्रेम, अदम्य साहस त्याग, निष्ठा, दृढ़ संकल्प शक्ति से परिपूर्ण महान क्रांतिकारी एचएसआरए के कमांडर इन चीफ शहीद चंद्रशेखर आजाद का 93वां शहादत दिवस सोमवार को स्थानीय नेहरू डिग्री कॉलेज प्रांगण में छात्र संगठन AIDSO द्वारा मनाया गया। इस दौरान छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत जन गीतों के साथ की ‘तू जिंदा है तू जिंदगी की जीत में यकीन कर’से की गई।

AIDSO संगठन की कॉलेज अध्यक्ष पूजा ओझा ने बताया कि शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई सन् 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा ग्राम में एक ऐसे दौर में हुआ जब देश का आजादी आंदोलन उफान पर था। देशबंधु चितरंजन दास की अपील ” शिक्षा इंतजार कर सकती है,पर आजादी नहीं” ने अनेकों छात्र- युवाओं को अनुप्राणित किया। आजाद इससे अछूते नहीं रहे देश की पुकार के प्रति उत्तर में अपना स्कूल कॉलेज कैरियर छोड़कर आजादी आंदोलन में कूंद पड़े। जो आज के छात्रों – युवाओं के लिए गहरी सीख है,जो घोर कैरियर रिज्म व आत्म केंद्रीयता में डूबे हुए हैं।वे सन् 1921 में चल रहे असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। बाद में समझौतावादी धारा (जिसका नेतृत्व गांधी जी कर रहे थे) उसका लक्ष्य अंग्रेजों से सांठगांठ कर सत्ता हथियाना था। बाद में वे गैरसमझौतावादी धारा के सशक्त संगठन एचएसआरए में शामिल हुए। बाद में जिसके वे निर्विरोध कमांडर – इन- चीफ बने।

जिसका लक्ष्य था समाजवादी व्यवस्था की स्थापना जिसमें अमीरी गरीबी का भेद ना हो मानव के द्वारा मानव पर शोषण का खात्मा हो और सांप्रदायिक उन्माद नहीं हो। चंद्रशेखर आजाद ने कहा था “मुक्ति के कोमल पौधों को शहीदों के खून से ही खींचा जा सकता है” और आखरी सांस तक इस बात का पालन किया। 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में वह शहीद हो गए। जिला सचिव अनुराग सागर ने कहा कि आजाद भारत के 75 साल बाद भी उनका सपना अधूरा है। पाठ्यक्रमों से लगातार क्रांतिकारियों मनीषियों के जीवन संघर्ष व उनके विचारों को हटाया जा रहा है। ताकि देश के छात्र-नौजवान चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह,खुदीराम बोस,बिस्मिल -अशफाक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस इत्यादि शहीदों से सीख लेकर संप्रदायिकता, महंगाई, बेरोजगारी,अपराध,अशिक्षा के खिलाफ उठ खड़े ना हो पाए।

शिक्षा के मूल सारतत्व इंसानियत व मानवीय मूल्यों को खत्म करने वाली नई शिक्षा नीति को मध्य प्रदेश में लागू किए हुए 1 साल हो गया है। कहीं फीस में भारी बढ़ोतरी की गई है तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश के 90 प्रतिशत सरकारी स्कूलों को बंद किया जा रहा है। अभी तक क्लोजर मर्जर, एक शाला एक परिसर, सीएम राइस के नाम से 20 हजार से ज्यादा स्कूलों को खत्म कर दिया गया है। छात्रवृत्ति,आवास योजना में कटौती जारी है। बेतहाशा बढ़ती महंगाई से जीना दूभर हो गया है।आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ रहे है,आय घट रही है। पिछले 5 सालों में गैस सिलेंडर के दाम दोगुने हो गए है। पिछले 10 महीने में दूध पर 8 रुपए की वृद्धि हुई है पेट्रोल डीजल तेल के दामों में आग लगी है। देश की 40 प्रतिशत संपत्ति पर 1 प्रतिशत अमीर लोगों का कब्जा है। बेरोजगारी चरम पर है। धर्म जात के नाम पर सांप्रदायिकता बढ़ रही है। जो इनके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन पर दमन किया जा रहा है।

AIDSO ने बताया नशा शराब अश्लीलता अपसंस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार की नई शराब नीति 2022 शराब को बढ़ावा देने की नीति है जिसमें उसे सस्ता किया गया है, और सुपर मार्केट पर्यटन स्थल पर हर जगह पर बेचने का प्रावधान होगा, यहां तक की ‘होम बार’ बनाने की छूट दी गई है।पोर्न साइटस, पोर्न फिल्में, शराब, नशा, अश्लीलता महिलाओं – बच्चियों पर बेतहाशा बढ़ रहे अपराधों और बर्बरता के लिए जिम्मेदार है,लेकिन यह सब जानते हुए भी सरकार उसको बढ़ा रही है। ऐसे में जरूरी है, शहीद चंद्रशेखर आजाद सहित तमाम क्रांतिकारियों के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जाए, उनके सपनों का भारत बनाने के लिए सशक्त आंदोलन का निर्माण किया जाए।