पुलिस लाईन जबलपुर एवं थाना सिहोरा, तथा थाना पाटन में 1000 पुलिस अधिकारि यों एवं कर्मचारियों को डॉक्टरों द्वारा दिया गया सी.पी.आर. तकनीक का प्रशिक्षण

पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश श्री सुधीर कुमार सक्सेना (भा.पु.से.) की पहल पर आज दिन शनिवार 25 फरवरी 2023 को मध्य प्रदेश की समस्त पुलिस ईकाईयों में सी.पी.आर. प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाने हेतु निर्देशित किये जाने पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जबलपुर जोन, जबलपुर श्री उमेश जोगा (भा.पु.से.), उप पुलिस महानिरीक्षक जबलपुर रेंज जबलपुर श्री आर.आर.सिंह परिहार (भा.पु.से.), पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) की उपस्थिति में पुलिस लाईन्स जबलपुर में आज प्रातः 11 बजे पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को डॉक्टरों की टीम के द्वारा सी.पी.आर. प्रशिक्षण दिया गया।

डाक्टरों ने बताया कि “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” अर्थात सी.पी.आर. देकर कार्डियक अरेस्ट से लोंगों की जान बचायी जा सकती है। कार्डियक अरेस्ट में तत्काल सी.पी.आर. देने से मरीज की जान बचने के साथ ही साथ उसके ब्रेन डेड होने का खतरा भी टल जाता है। हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट में फर्क होता है, हार्ट अटैक पूर्व दिक्कतों की वजह से होता है जैसे कोई लम्बे समय से बी.पी. का मरीज है और उसकी दवा ले रहा है अथवा पहले से वह हृदय रोग व दूसरी जटिल बीमारी से ग्रस्त है जबकि कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है, यह खाते समय गले मे कोई चीज फस जाने व दूसरे कई अज्ञात कारणों से हो सकता है।

र्कार्डयक अरेस्ट होने पर सांस रूक जाती है, इससे हृदय, ब्रेन, किडनी, लिवर, इत्यादि अंगों में ऑक्सीजन व रक्त की सप्लाई बाधित होने लगती है यदि लगातार 3 से 5 मिनिट तक खास कर ब्रेन को ऑक्सिजन नहीं पहुंची तो ब्रेन डेड हो सकता है, एैसे मे यदि कार्डियक अरेस्ट होने पर मरीज बाद मे बच भी जाये तो उसकी जिंदगी किसी काम की नहीं रह जाती है इसलिये तुरंत सी.पी.आर. देना जरूरी होता है, सी.पी.आर. देने से ब्रेन, हार्ट सहित अन्य अंगो को आक्सिजन की सप्लाई दुबारा शुरू हो जाती है और मरीज को अस्पताल पहुंचाने तक का मौका मिल जाता है, यही कारण है कि तुरंत सी.पी.आर. देने से ज्यादातर मरीज की जान बच जाती है।

सी.पी.आर. देने का तरीका – जब व्यक्ति खाते, चलते, बोलते व अन्य कोई काम करते करते अचानक अपनी जगह पर गिर जाता है उसकी धडकनें खामोश होने लगती है, शरीर को चलाने वाले महत्वूपर्ण अंगों में ऑक्सिजन सप्लाई बाधित होने से मल्टी आर्गन फ्ल्योर का खतरा बढ जाता है एैसे में मरीज को तुरंत समतल सतह पर लिटाकर 100 से 120 बार उसके सीने पर दोनों हाथों से कम्प्रेस (दबाव) डाला जाता है, हर 30 कम्प्रेस पर मरीज के मुंह में अपने मुंह से सांस दी जाती है, इससे खमोश हुई धडकनें फिर चल पडती है सभी आर्गन को ऑक्सिजन पहुंचने लगती है, ब्रेन डेड होने का खतरा भी टल जाता है।

पुलिस अधीक्षक जबलपुर श्री सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) ने कहा कि सी.पी.आर. तकनीक बहुत उपयोगी है जिसके बारे में ज्ञान होना बहुत जरूरी है। जब भी कोई घटना होती है तो सबसे पहले पुलिस मौके पर पहुंचती है। सी.पी.आर. तकनीक का ज्ञान होने पर पुलिसकर्मी द्वारा जान बचायी जा सकती है, इसी उद्देश्य को लेकर पुलिस महानिदेशक मध्य प्रदेश श्री सुधीर कुमार सक्सेना (भा.पु.से.) की पहल पर आज पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन रक्षा उपायों से अवगत कराते हुये सी.पी.आर. तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया है।

बडेरिया मैट्रो प्राईम अस्पताल के डॉ. अरविंद जैन, डॉ. सचिन रूसिया, एवं श्री मयूर तथा शैल्वी अस्पताल के डॉ. ओमप्रकाश नूतन, डॉ. संजय जैन द्वारा सी.पी.आर. तकनीक का प्रशिक्षण देते हुये सीपीआर देने का तरीका, उपयोगिता एवं महत्ता के बारे में बताया गया।इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर दक्षिण) श्री संजय कुमार अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर (उत्तर/यातायात)

श्री प्रदीप कुमार शेण्डे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्री शिवेश सिंह बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध श्री समर वर्मा ,नगर पुलिस अधीक्षक अधारताल श्रीमति प्रियंका करचाम, नगर पुलिस अधीक्षक रांझी श्री एम.पी. प्रजापति, नगर पुलिस अधीक्षक गोरखपुर सुश्री प्रतिष्ठा राठौर, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्री तुषार सिंह, नगर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्रीमति अपूर्वा किलेदार, तथा समस्त थाना प्रभारी शहर एवं रक्षित निरीक्षक श्री सौरभ तिवारी तथा पुलिस लाईन एंव थानों में पदस्थ 700 अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।

इसी प्रकार एसडीओपी सिहोरा श्रीमति भावना मरावी की उपस्थिति में थाना सिहोरा, खितौला, गोसलपुर, मझगवॉ एंव मझोली मे पदस्थ 150 अधिकारियों/कर्मचारियों को थाना सिहोरा में तथा एसडीओपी पाटन सुश्री सारिका पाण्डे की उपस्थिति में थाना पाटन, शहपुरा, कटंगी, बेलखेडा में पदस्थ 150 अधिकारियें/कर्मचारियों को थाना पाटन में डाक्टरों की टीम द्वारा सी.पी.आर. तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया।