मनावर की यातायात व्यवस्था पूर्ण रूप से हुई ठप | रोज़ लग रहे लंबे जाम से जनता हुई त्रस्त

अली असगर/मनावर- बीते कुछ वर्षों में शहर की यातायात व्यवस्था पूर्ण रूप से ठप हो चुकी है। अब स्थितियां इतनी खराब हो गई है कि अगर साधारण व्यक्ति अति आवश्यक कार्य से या किसी आपातकालीन स्थिति में घर से निकलता है। तो उसे लंबे समय तक जाम का सामना करना पड़ता है। यातायात स्थिति बाधित होने का केवल एक नहीं कई कारण हैं। जिसमें सबसे पहले कारण है नगर में बड़े-बड़े बलकल और भारी-भरकम वाहनों का आवागमन पूरा दिन भ्रमण करना।

मनावर के आस पास आई बड़ी कंपनीयों के साथ ही साथ वाहनों के ट्रांसपोर्टर जो बाहर से आए हैं उनके बड़े बड़े वाहन पूरा दिन नगर में जाम का कारण बनते हैं। क्योंकि नगर के मध्य स्थित शहर के प्रमुख गांधी चैराहे पर ही काफी कम जगह है। जिससे बड़े वाहनों को मोड़ने में ज्यादा समय लगता है। यातायात व्यवस्था बाधित करने में दूसरा कारण है स्थानीय हाथ गाड़ी व्यापारी और बड़े-बड़े दुकानदार। यह दोनो कारण भी नगर की दुर्दशा करने में कम नहीं साबित हो रहें है।

पहले तो दुकानदार अपनी दुकान से 10 फीट आगे तक सामान जमा लेते हैं और उसके बाद दुकानों के सामने बीच रोड पर गाड़ियां पार्क की जाती है। अगर किसी को सामान लेना है, तो वह अपनी मोटरसाइकिल सड़क के बीच लगाकर दुकान पर सामान लेने जाता है। वही हाथ गाड़ी वाले फुटपाथ पर सड़क से बिल्कुल चिपक के अपनी गाड़ियां खड़ी करते हैं। जिससे वाहन चालक सड़क पर आते जाते ही उनसे सामान खरीद सके। परंतु ऐसा करने से वह नगर की व्यवस्था को बाधित कर रहे हैं यह उन्हें दिखाई नहीं देता। यातायात व्यवस्था बाधित करने में तीसरा कारण है बस चालक। जो बस स्टेंड से बसों को लेकर इतना धिरे निकलते हैं कि पिछे लंबा जाम लग जाता है। जबकि नगर के बाहर बस यात्रीयों के लिए बस स्टोप हैं। जहां पर बसें रूकती हैं।
नगर में पुलिस प्रशासन को मुस्तैदी से कार्य कर रहा है परंतु ट्रैफिक पुलिस ना होने से यातायात की समस्या और बड़ी होती जा रही है। नगर में पुलिस बल यातायात संभालने के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं मनावर नगरपालिका की बात करें तो यातायात व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने के लिए अभी तक किसी प्रकार के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। बीते कूछ वर्षों की बात करें तो नगर में ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी कैमरे की मांग भी उठी थी। जिस पर आज दिनांक तक ध्यान नहीं दिया गया।

बीते कुछ समय से नगर पालिका ना ही सड़क के मेंटेनेंस कार्य ठीक से कर पाई थी और ना ही स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था कर पाई थी। जिससे रात्रि के समय काफी दुर्घटनाएं देखने को मिली। साथ ही दुर्घटना में जो डिवाइडर के लोहे वाले पाइप टूट कर अलग हो गए हैं। उन्हें तक नपा काटकर उनकी जगह दूसरे पाइप नहीं लगा पाई है। अधिकारी आम जनता की सेवा पब्लिक सर्वेंट के रूप में काम करना नहीं चाहते हैं। आम जनता से मिलना एक नगरपालिका अधिकारी का कर्तव्य है परंतु नपा अधिकारी बिना किसी सरकारी वरिष्ठ अधिकारी या नेता के आदेश के बिना अपने कमरे से बाहर तक नहीं निकते हैं। यहां तक कि 25 फरवरी के दिन जो समाधान शिविर का आयोजन हुआ था।

वह उसमें भी नदारद ही दिखाई दिये। नगर की दशा दिन पर दिन खराब होती देखी जा सकती है। ऐसे में अगर नगर को जिला बनाने की मांग उठाई भी जाती है, तो वह निराधार सी लगती है, क्योंकि इन अव्यवस्थाओं के चलते जब नगर में हम आने जाने तक का मार्ग भी ठीक से नहीं निकाल सकते। तो नगर को जिला बनाने की मांग करना मजाक सा लगता है।