कृषि विज्ञान केन्द्र पलिया पिपिरया का मिला सहयोग,किसान की खुशहाल हुई जिंदगी
मोहम्मद जावेद/बनखेड़ी- कम समय और कम लागत में अधिक आय अर्जित करने के लिए तिंदवाड़ा के किसान ने नवाचार करते हुए स्ट्रॉबेरी फसल का उत्पादन ले रहे है। इसके साथ ही नर्मदापुरम जिला में स्ट्रॉबेरी फसल लगाकर बेहतर उत्पादन लेने वाले संभवतः पहले किसान भी बन गए है। जिसके पीछे कृषि विज्ञान केन्द्र पालियापिपरिया का सबसे बड़ा योगदान है। केव्हीके के वैज्ञानिक डॉ लवेस चौरसिया ने बताया टिशू कल्चर से निर्मित स्ट्रॉबेरी विंटर डाउन किस्म की यह फसल है। नवाचार के तहत जिले के चार विकासखंड़ के 9 किसानों के खेत में 200-200 पौधे लगवाएं थे। जिसमें से तिंदवाड़ा के किसान गोपाल कुशवाहा बेहतर उत्पादन लेने में सफलता हासिल कर रहे है। किसान 200 में से बचे शेष करीब 175 पौधे से प्रति 2 दिनों करीब 2 किलों को उत्पादन लेते है। जिससे करीब 800 रू की आय अर्जित होती। अभी तक गोपाल कुशवाहा ने स्ट्रॉबेरी की 15 बार तुड़वाई करा चुके है। जिससे करीब 9000 रू. का लाभ कमा लिया। यह फसल अगामी 30 दिनों तक ओर उत्पादन देगी।
स्ट्रॉबेरी किसानों के लिए होगी वरदान साबित
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ संजीव कुमार गर्ग का मानना है कि स्ट्रॉबेरी फसल किसानों के लिए वरदान साबित होगी। फिलहाल जिले में स्ट्रॉबेरी हाई वैल्यू फसल एवं फसल विविधिकरण के रूप में प्रक्षेत्र परीक्षण किया जा रहा है। क्षेत्र के किसान अन्य फसलों पर निर्भर न रहकर स्ट्रॉबेरी की फसल से कम समय में अधिक आय अर्जित कर सकते है।
गोपाल ने किया कई फसलों का नवाचार
वही किसान गोपाल कुशवाहा की बात की जाएं उनको नए-नए फसलों में नवाचार करने हुंनर प्राप्त हो गया। स्ट्रॉबेरी के पहले भी गोपाल स्वीट् कार्न, शिमला मिर्च, ब्रोकली, बड़ा परमल में नवाचार करके अधिक आय अर्जित कर चुके है। वर्तमान में गोपाल ने अपने खेत में स्टार गोभी, लाल फूल गोभी, लाल पत्ता गोभी, चाइनीज केवी, केल की भाजी, चुकनी (स्कोच) आदि फसलों में नवाचार कर रहें। गोपाल कुशवाहा ने बताया स्ट्रॉबेरी फसल जीरो लागत पर आधारित है। स्ट्रॉबेरी के पहले टमाटर लागने के लिए खेत तैयार किया गया। केव्हीके से पौधे प्राप्त होने पर स्ट्रॉबेरी लगा दी। करीब 1 माह बाद उत्पादन प्रारंभ हो गया। वर्तमान में घर से ही करीब 400 रू किलों में बिक रही है।